Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in hindi: मिर्ज़ा ग़ालिब – यह नाम सिर्फ एक शायर का नहीं, बल्कि उर्दू और फ़ारसी शायरी का एक सुनहरा अध्याय है। उनकी शायरी सिर्फ अल्फ़ाज़ का खेल नहीं, बल्कि जज़्बात का समुंदर है, जिसमें हर दिल डूबकर खुद को पा सकता है। जब भी मोहब्बत, दर्द, जुदाई, या जिंदगी की गहरी सच्चाइयों की बात होती है, तो ग़ालिब की शायरी खुद-ब-खुद जुबां पर आ जाती है।
ग़ालिब की शायरी दिल को छू लेने वाली होती है क्योंकि वो इंसानी जज़्बात को इस खूबसूरती से बयां करते हैं कि हर लफ्ज़ सीधे दिल में उतर जाता है। उनकी Heart Touching Shayari में इश्क़ की मासूमियत भी है, दर्द की गहराई भी, और जिंदगी के फलसफे का असर भी। यही वजह है कि सदियों बाद भी उनकी शायरी उतनी ही ताज़ा और असरदार लगती है।
अगर आप भी Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in hindi पढ़ना चाहते हैं, जो आपके दिल को छू जाए, तो इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ चुनिंदा अशआर जो आपको उनकी दुनिया में खो जाने पर मजबूर कर देंगे। आइए, ग़ालिब की शायरी के इस सफर में डूबते हैं!
Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in hindi
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आये क्यों,
रोएंगे हम हजार बार, कोई हमें सताये क्यों।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शबो-रोज तमाशा मेरे आगे।
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
हसरतें इतनी कि हर हसरत पे दम निकले,
जीते रहे हम इतनी ही तमन्ना के साथ।
ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,
ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे।
कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
हाथों की लकीरों में मत जा ऐ ग़ालिब,
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।
हम को मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये खयाल अच्छा है।
बस कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना।
इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता,
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आये क्यों,
रोएंगे हम हजार बार, कोई हमें सताये क्यों।
कर्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ,
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ामस्ती एक दिन।
न पूछो हाल मेरा ग़ालिब, मैं खुद से परेशान हूँ,
जो दिखता हूँ बाहर से, अंदर से वही इंसान नहीं।
इश्क़ पर जोर नहीं, है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
सारी उम्र हम त़लाश में रहे,
किसी को अपने दिल में बसाने के लिए।
ग़ालिब, हम ज़िंदगी से शिकवा नहीं करते,
क्योंकि हम नहीं जानते, कल क्या होगा।
तेरे इश्क़ में जी रहे थे हम,
तेरे बिना मर रहे हैं हम।
ज़िंदगी भी है एक रंगीन किताब की तरह,
हर पल नया सफ़ा और एक नया दर्द होता है।
हमसे कुछ नहीं हो पाया, दिल को तसल्ली है,
ग़ालिब, हमने कोशिश की थी तुमसे मोहब्बत करने की।
दिल टूटे तो कोई बात नहीं,
ग़ालिब, तक़दीर के लिखे से टकराना भी जरूरी था।
हर एक दिल की छुपी हुई बात ग़ालिब,
तुम समझते हो, तुम्हारी शायरी में।
इस दिल की चाहत पर ख़ुदा का ये क़ानून है,
मिल जाए वो नसीब से तो दर्द जुदाई का होता है।
तुझे देखे बिना दिल को सुकून नहीं मिलता,
जुदाई का दर्द भी अब दर्द से कम नहीं लगता।
जो नहीं मिल पाया कभी भी हमें, ग़ालिब,
वो कभी और भी तो नहीं पाया जाएगा।
हम को मालूम है सच्चाई, फिर भी दिल नहीं मानता,
ग़ालिब, दिल की बातें कभी समझ नहीं पाता।
किसे अपने दर्द का हल बताएं, ग़ालिब,
जब खुदा भी नहीं जानता हमारे दिल का राज़।
मुझे था यकीन तेरे प्यार पे, ग़ालिब,
पर आजकल तो यकीन भी खुद पे नहीं आता।
दिल की बेचैनी को शब्दों में कैसे बयां करें,
जब दिल की कोई आवाज़ दुनिया नहीं सुनती।
हमें तो मौत भी बिना दर्द के चाहिए थी,
लेकिन ग़ालिब, ये भी मोहब्बत का असर था।
हमेशा याद रखो, ग़ालिब, दिल में दर्द को समेट कर,
इंसान कभी भी टूट कर नहीं गिरता।
हमने ख़ुद को भी खो दिया, और फिर पाया भी नहीं,
ग़ालिब, कभी-कभी दर्द सबसे ज्यादा सच्चा होता है।
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, और ज़िंदगी भी तो,
बदलते हैं दोनों के रास्ते, बिना किसी समझ के।
दिल को अपनी पसंद की राहत नहीं मिलती,
कभी बर्बाद होता है, कभी मस्कन बन जाता है।
हर एक लम्हा अब तुम्हारी यादों में खो जाता है,
ग़ालिब, जिंदगी अब वो नहीं रही, जो कभी थी।
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